टीडीएस क्या है और टीडीएस की फुल फॉर्म क्या है? What is TDS in Hindi
हेलो दोस्तों एक बार फिर से आपका स्वागत है हमारा सपोर्ट वेबसाइट पर। प्रत्येक व्यक्ति का आय का स्रोत होता है। व्यक्ति के द्वारा कमाए जाने वाली कुल इनकम का कुछ भाग सरकार के द्वारा टैक्स के रूप में लिया जाता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि टीडीएस क्या है? आप टीडीएस को यह कहकर भी परिभाषित कर सकते हैं कि सरकार के द्वारा लिए जाने वाले टैक्स को टीडीएस कहते हैं। लेकिन आज हम आपको पीडीएस से संबंधित सभी जानकारी इस आर्टिकल में काफी आसानी से आएंगे।
टीडीएस क्या है?
टीडीएस को अगर साधारण शब्दों में समझें तो कह सकते हैं कि व्यक्ति की कुल आय का कुछ प्रतिशत भाग सरकार के द्वारा दिया जाता है। सबसे पहले टीडीएस आपको इनकम देने वाली संस्था के द्वारा काटा जाता है। संस्था के द्वारा काटा गया इनकम का कुछ भाग सरकार के खाते में जमा होता है।
भारत सरकार आप से दो तरह से डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स लेती है। डायरेक्ट टैक्स कोड प्रत्यक्ष कर और इनडायरेक्ट टैक्स को अप्रत्यक्ष कर कहते हैं। सरकार के द्वारा लिए जाने वाला टीडीएस इनडायरेक्ट टैक्स होता है। जो व्यक्ति टीडीएस भरता है उसे Deductor या Deductee कहते हैं।
टीडीएस फुल फॉर्म क्या है?
TDS का मतलब Tax Deducted At Source होता है, हिंदी में टीडीएस की फुल फॉर्म स्रोत पर कर कटौती होती है।
Deductor या Deductee क्या है?
आपको जिस संस्था के द्वारा इनकम प्राप्त हो रही है उस संस्था के द्वारा आपके इनकम में से काटे गए टीडीएस के कुल रकम को संस्था यानी Deductor सरकार के खाते में जमा करती है। अर्थात संस्था को Deductor कहते हैं। अगर संस्था के द्वारा सरकार को टीडीएस समय पर नहीं दिया जाता है तो डिटेक्टर अर्थात संस्था पर ब्याज और पेनल्टी, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के द्वारा लगाया जाता है।
कौन-कौन से पेमेंट पर टीडीएस कटता है?
हर तरह के पेमेंट पर टीडीएस नहीं काटा जाता है बल्कि कुछ चुनिंदा भुगतान ऊपर ही टीडीएस काटा जाता है। भारत सरकार कई तरह के भुगतान जैसे सैलरी, ब्याज, कमीशन, प्रोफेशनल फीस, लाभांश, किसी तरह का किराया, कॉन्ट्रैक्ट पेमेंट, ब्रोकरेज आदि पर टीडीएस काटती है।
टीडीएस दरें क्या हैं?
भारतीय कर पद्धति में 20 से 25 खंड यह धाराएं उपलब्ध है। यह सभी धाराएं अलग-अलग प्रकार के भुगतान को संचालित करती हैं। नीचे कुछ प्रकार के भुगतान और उन पर धारा लागू होने पर टीडीएस दर के साथ स्रोत पर कटौती करनी होती है।
टीडीएस में दरों के लिए क्या नियम है?
सरकार के द्वारा दिए जाने वाले टीडीएस में दरों के लिए कुछ नियम भी मौजूद हैं। अगर कोई भी व्यक्ति टीडीएस से संबंधित नियमों का पालन नहीं करता है तो उस पर ब्याज और पेनेल्टी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के द्वारा लगाई जाती है।
- हर व्यक्ति चाहे वह कोई भी नौकरी करता हो उसे हर महीने की 7 तारीख से पहले सरकार के खाते में टैक्स जमा करना जरूरी है।
- अगर टीडीएस भरने में किसी भी तरह की देरी होती है तब प्रति माह 1.5% की दर से ब्याज वसूला जाता है।
सरकार टीडीएस क्यों काटती है?
अभी हमने आपको ऊपर बताया कि टीडीएस क्या है? अब आपके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर टीडीएस क्यों काटा जाता है? भारत सरकार देश की जनता के लिए काफी सारी सुविधाएं समय-समय पर उपलब्ध कराती है। हर राज्य में अलग-अलग समय पर एक नए बजट को लागू किया जाता है। इन सभी सुविधाओं और बजट के लिए काफी सारे पैसे की जरूरत होती है। यह पैसा सरकार कहां से लाती है यह भी जानना आपके लिए काफी ज्यादा जरूरी है।
प्रत्येक व्यक्ति जो कि भारत में जन्म लेता है वह भारत सरकार को टैक्स जरूर देता है और इसी पैसे से सरकार नई नई सुविधाओं को शुरू करती है। सरकार यह पैसा टीडीएस के रूप में लेती है। अर्थात सरकार आपसे जो पैसा टीडीएस के रूप में लेती है वह सभी देश के विकास के लिए लगाया जाता है। अब आप समझ गए होंगे कि टीडीएस क्यों करता है।
फॉर्म 26AS क्या है?
क्या आपको पता है कि टीडीएस आपके पैन से कैसे लिंक होता है। अगर आपकी आय से टीडीएस कट जाता है तो आपको टैक्स क्रेडिट फॉर्म 26AS से गुजर ना होता है। यह फॉर्म सभी पैन धारकों के लिए उपलब्ध होता है और यह एक समेकित कर विवरण है। सरकार के द्वारा लिए जाने वाले सभी टीडीएस आपके पैन कार्ड से जुड़े हुए होते हैं। पटाती करता आपकी इनकम पर काटे गए टीडीएस की जानकारी इस फार्म पर लिखता है। अग्रिम कर या स्व मूल्यांकन कर के रूप में व्यक्ति के द्वारा आयकर का भुगतान भी इसी फॉर्म में किया जाता है।
टीडीएस कितने प्रतिशत कटता है?
व्यक्ति की आय का स्रोत अलग अलग होता है इसीलिए अलग-अलग टीडीएस दरें भी लागू होती हैं। फिक्स डिपॉजिट पर अगर ₹10000 से अधिक ब्याज मिलता है तो इस पर 10 फीसदी दर से टीडीएस कटता है।
क्या टीडीएस रिफंड भी होता है?
कभी-कभी कुछ ऐसे व्यक्तियों की इनकम से भी टीडीएस काट लिया जाता है जिनकी आए इनकम टैक्स के दायरे में नहीं होती है। ऐसा होने पर आप टीडीएस रिफंड का क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए आपको संबंधित असेसेमेंट ईयर में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करके टीडीएस रिफंड क्लेम करना होगा।
निष्कर्ष
उम्मीद है कि आपको हमारे इस आर्टिकल की मदद से अब तक पता चल गया होगा कि टीडीएस क्या है? हमने टीडीएस से जुड़ी हुई सभी जानकारियों को इस आर्टिकल में देने का पूरा प्रयास किया है। अगर आपको इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त करनी है तो हमें जरूर बताएं। प्रत्येक व्यक्ति को भारत सरकार को टीडीएस के रूप में टैक्स देना जरूरी है। सरकार सुविधाओं को भारत के लोगों को प्रदान करती है। इन सभी सुविधाओं के लिए काफी ज्यादा पैसे की आवश्यकता होती है और यह पैसा प्रत्येक व्यक्ति से टैक्स के रूप में सरकार लेती है। टीडीएस क्यों काटा जाता है और टीडीएस कब कब काटा जाता है यह भी जानकारी इस आर्टिकल में दी गई है।