इंटरनेट कैसे बनता है और यह कैसे काम करता है? इंटरनेट का विकास
दोस्तों आप अपने मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप पर रोज इंटरनेट का यूज करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि इंटरनेट क्या होता है? इंटरनेट कैसे काम करता है और सबसे ज्यादा क्या आपने यह सोचा है कि इंटरनेट कैसे बनता है? आपके मोबाइल में इंटरनेट कैसे बनता है और इंटरनेट आप कैसे यूज करते हैं। तो दोस्तों इन सवालों का जवाब आज के हम इस आर्टिकल में आपको देने वाले हैं। हम आपको बताएंगे कि इंटरनेट का विकास कैसे हुआ और इंटरनेट कहां से आपके मोबाइल, डेक्सटॉप, पीसी पर आता हैहैं। और साथी हम आपको यह बताएंगे कि इंडिया में इंटरनेट कहां से आता है।
दोस्तों आज का आर्टिकल आपके लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होने वाला है क्योंकि आज हम उस आर्टिकल पर बात करने वाले हैं। इंटरनेट को आप रोज अपने मोबाइल, लैपटॉप पर यूज करते हैं। दोस्तों आज का हमारा यह आर्टिकल आप लगातार पढ़ते रहिए जिससे कि आपको सारी जानकारी बिल्कुल स्टेप बाय स्टेप मिलती है। हम आपको बताएंगे कि इंटरनेट क्या है? उसके बाद हम आपको स्टेप बाय स्टेप इंटरनेट की जानकारी देते जाएंगे। इंटरनेट कैसे काम करता है? इंटरनेट का विकास कैसे हुआ इसके बारे में हम आपको पूरी जानकारी देंगे। जानिए इंटरनेट कैसे बनता है।
इंटरनेट क्या है?
दोस्तों मैं आपको बताऊं कि इंटरनेट कैसे बनता है? उससे पहले मैं आपको बताने जा रहा हूं कि इंटरनेट क्या है? इंटरनेट एक दूसरे से जुड़े बहुत से कंप्यूटरों का एक जाल होता है जो कि रॉडर और सरवर के माध्यम से दुनिया के सभी कंप्यूटर, पीसी को आपस में जोड़े रखता है। अगर मैं दोस्तों आसान शब्दों में कहूं तो Internet केबल दो शब्दों से मिलकर बना हुआ होता है इंटर और नेट। दोस्तों इन शब्दों में सबसे पहले शब्द इंटर का अर्थ होता है एक दूसरे से जुड़ा हुआ और नेट का अर्थ होता है जाल। इंटरनेट को दोस्तों हिंदी में हम अंतरजाल कहते हैं। अंतरजाल एक ऐसा शब्द है जो आज के समय में कोई नहीं जानता है। लेकिन अंतरजाल को इंग्लिश शब्द Internet के नाम से सभी लोग जानते हैं।
दोस्तों इंटरनेट की फुल फॉर्म इंटरकनेक्टेड नेटवर्क होती है मतलब कि नेटवर्क जो कि एक कंप्यूटर को अन्य कंप्यूटर से जुड़े रखता है। उसको हम इंटरनेट कहते हैं। ग्लोबल नेटवर्क भी कहते हैं। क्योंकि इंटरनेट कंप्यूटर और लैपटॉप को एक साथ जोड़े रखता है। जवाब पाइए के इंटरनेट कैसे बनता है। दोस्तों इंटरनेट हमेशा एक इंटरनेट प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करता है। जिसे हम TCP/IP कहते हैं। इंटरनेट में प्रत्येक कंप्यूटर के पास अपना एक आईपी एड्रेस होता है जिससे उस कंप्यूटर और वेबसाइट की पहचान होती है।
इंटरनेट की परिभाषा
इंटरनेट एक ऐसा सिस्टम होता है जो कि दुनिया के सभी कंप्यूटरों को जोड़ने के बाद बनता है, इस नेटवर्क में हर तरह के मीडिया फाइल्स को ट्रांसफर करने के लिए TCP/IP का इस्तेमाल किया जाता है।
इंटरनेट दुनिया के सभी कंप्यूटरों को जोड़ने के बाद बना एक सिस्टम है या नेटवर्क है और यह डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में भेजता है। साथ ही डाटा को प्राप्त भी करता है। दोस्तों जब कुछ कंप्यूटर को एक साथ कोई भी चीज जोड़ती है तो हम उसे नेटवर्क करते हैं। जब इस तरह के बहुत सारे छोटे नेटवर्क मिलकर एक नेटवर्क बनता है। तो यह ग्लोबल नेटवर्क बन जाता है। इसे दूसरे वर्ड्स में वर्ल्ड वाइड नेटवर्क भी कहते हैं।
दोस्तों इंटरनेट से जुड़े हुए हर कंप्यूटर की एक अलग पहचान होती है। इस अलग पहचान को हम IP Address इंटरनेट प्रोटोकोल बोलते हैं। IP Address नंबर का unique सेट होता है। हर कंप्यूटर के लोकेशन को डिफाइन करने के लिए इस unique नंबर को बनाया जाता है जिससे कि कंप्यूटर की पहचान हो सके। दोस्तों हम आपको एक आईपी एड्रेस बता रहे हैं जैसे कि 202.165.12.114 यह एक आईपी एड्रेस है।
इंटरनेट का विकास
दोस्तों अब मैं आपको बताऊंगा कि इंटरनेट का विकास कैसे हुआ? अगर मैं आपको विस्तार से बताओ कि इंटरनेट का विकास कैसे हुआ है तो यह जानना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है। मैं आपको संक्षिप्त में बताता हूं कि इंटरनेट का विकास कैसे और कब हुआ।
- इंटरनेट की शुरुआत 1969 में अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा ARPANET के विकास से की गई।
- ARPANET को ही दुनिया का सबसे पहला नेटवर्क कहा जाता है। जिसमें चार दूरस्थ कंप्यूटर आपस में जोड़े गए हैं।
- अगले 20 वर्षों तक इंटरनेट का प्रयोग रक्षा और अनुसंधान तथा रक्षा संस्थानों में ही होता रहा।
- 1989 में इंटरनेट को आम जनता के लिए भी दोस्तों चलाया गया इसका उपयोग अन्य योजनाओं के लिए भी किया जाने लगा और इसके क्षेत्र में व्यापक वृद्धि भी हुई।
- 1990 में टीम बार्नस् ली द्वारा वर्ल्ड वाइड वेब के अविष्कार ने इंटरनेट को नया आयाम मिला।
- टीम बार्नस् ली ने अपने आर्किटेक्चर नेटवर्किंग द्वारा TCP/IP के नियमों के पालन से सूचनाओं का आदान-प्रदान सुविधाजनक हो गया।
- सन 1993 में पहले ग्राफिक Web Browser, MOSAIC सॉफ्टवेयर के विकास ने इंटरनेट के विकास में योगदान दिया।
- MOSAIC सॉफ्टवेयर का विकास Marc Anderson के नेतृत्व में किया गया।
- दोस्तों इंटरनेट में पैकिंग स्विचिंग का यूज किया जाता है जिसमें अलग-अलग सूचनाओं को पैकेट बनाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है।
- इसी वजह से एक माध्यम का उपयोग अलग-अलग उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है।
- दोस्तों इस के द्वारा दुनिया के सभी कंप्यूटर एक दूसरे से बिना जुड़े हुए भी सूचनाओं का आदान-प्रदान बहुत आसानी से कर सकते हैं।
इंटरनेट को किसने बनाया है।
दोस्तों अब मैं आपको बताने जा रहा हूं कि इंटरनेट को किसने बनाया है और इंटरनेट कैसे काम करता है। सन 1970 के अंत में Vint Cerf नाम के एक कंप्यूटर इंजीनियर ने सभी मिनी नेट पर एक दूसरे के साथ बात करने के लिए सभी कंप्यूटरों के लिए एक ऐसा तरीका बनाया। इंटरनेट कैसे बनता है और इंटरनेट को किसने बनाया है। उन्होंने अपने अविष्कार को ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल या टीसीपी कहा।
उन्होंने दोस्तों एक और प्रोटोकॉल भी जोड़ा जिसे हम इंटरनेट प्रोटोकोल या IP कहते हैं। दोस्तों आज के समय में हम जिस इंटरनेट का उपयोग करते हैं। उसमें TCP/IP प्रोटोकोल का ही इस्तेमाल किया जाता है। सन 1974 में Vint Cerf और Robert E. Kahn ने एक पेपर प्रकाशित किया। जिसे द फादर ऑफ इंटरनेट के नाम से जानते हैं। इसी रिसर्च पेपर को प्रकाशित करने के कारण Vint Cerf को इंटरनेट का जनक कहा जाता है। Vint Cerf ने हमें बताया इंटरनेट कैसे बनता है।
इंटरनेट कैसे बनता है?
दोस्तों अब तक आपको यह पता जरूर चल गया होगा कि इंटरनेट दुनिया भर के सभी डाटा का एक जाल होता है। हम जो भी सूचनाएं इंटरनेट पर खोजते हैं वह कहीं ना कहीं दोस्तों स्टोर जरूर होती हैं। सर्वर के जरिए हम तक यह सूचना पहुंचती है। दुनियाभर कि इन्हीं सूचनाओं के मिलने से सरवर के जुड़ने से इंटरनेट खुद ही बन जाता है। सूचनाएं जहां स्टोर होते हैं उसे हम सर्वर कहते हैं। यह 24 घंटे ऑन रहते हैं। वेब होस्टिंग कंपनियां सरवर की सुविधा देती हैं। दुनिया भर के सर्वर फाइबर ऑप्टिक केबल द्वारा जुड़े होते हैं। बालों से भी पतले इन केबल में काफी स्पीड से दोस्तों डाटा ट्रांसफर होता है।
दोस्तों इंटरनेट का अधिकतम भाग समुद्र में ही अंदर फैले ऑप्टिकल फाइबर केबल में होता है। इनकी तुलना में सेटेलाइट का योगदान दोस्तों बिल्कुल भी नहीं होता है। पहले केबल के जरिए ही नेट कनेक्शन दिए जाते थे। हालांकि अब टेलीकॉम कंपनियां सेटेलाइट के जरिए भी लोगों को इंटरनेट कनेक्शन देती हैं। यही वजह है कि पहले नेटवर्क की सुविधा सिर्फ टेलीकॉम लाइनों के द्वारा ही दी जाती थी। लेकिन आज टेलीकॉम कंपनियां अपने यूजर को इंटरनेट की सुविधा सेटेलाइट के जरिए भी दे रही हैं। स्मार्टफोन में सेटेलाइट के जरिए नेट का इस्तेमाल करना बहुत ही ज्यादा सुविधाजनक है।
इंटरनेट कैसे काम करता है?
दोस्तों आज के समय में प्रत्येक व्यक्ति अपने मोबाइल फोन, टेबलेट या फिर किसी भी डिवाइस पर इंटरनेट का यूज जरूर करता है। लेकिन हमें यह नहीं पता है कि इंटरनेट कैसे काम करता है? इसे समझने के लिए हम आपके लिए स्टेप बाय स्टेप पूरी जानकारी देंगे। दोस्तों अगर आपको समझना है कि इंटरनेट कैसे काम करता है तो इसके 3 भाग होते हैं। पहला भाग वेब सर्वर, दूसरा इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, तीसरा कोई भी एक ब्राउजर इन तीनों के बारे में हम आपको स्टेप बाय स्टेप नीचे पूरी जानकारी दे रही हैं।
वेब सर्वर (Web Server)
दोस्तों हम इंटरनेट पर जो भी जानकारी प्राप्त करने के लिए सर्च करते हैं। वह सभी जानकारी सर्वर पर ही स्टोर होती हैं। सर्वर से हमें किसी भी प्रकार की जानकारी बहुत ही आसानी से मिल जाती है। सभी साइट और सभी प्रकार का डाटा इसी सर्वर पर स्टोर रहता है और जब हम किसी भी चीज को जानने के लिए सर्च करते हैं तो इस सर्वर से ही हमें जानकारी प्राप्त होती है। जब हम किसी भी वेबसाइट पर जाते हैं तो हम जो डाटा को देखते हैं वह सभी डाटा इसी सर्वर से आता है।
इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (Internet Service Provider)
दोस्तों इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर यह वे सर्विस प्रोवाइडर है जोकि वेब सर्वर से डाटा लेकर हम तक पहुंचाते हैं। इंडिया में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर जैसे रिलायंस, आइडिया, एयरटेल, बीएसएनल यह सभी हैं। हम लोग इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की मदद से किसी भी जानकारी को प्राप्त करते हैं। जब हम किसी भी चीज को सर्च करते हैं तो सबसे पहले हमारी जानकारी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के पास पहुंचती है। उसके बाद इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर सर्वर से जानकारी को लेकर हम तक पहुंचाता है।
वेब ब्राउजर (Web Browser) – इंटरनेट कहां से आता है।
दोस्तों आप Web Browser के बारे में तो बहुत ही अच्छी तरीके से जानते होंगे। हम अपने मोबाइल पर किसी भी चीज को जिस एप्लीकेशन में सर्च करते हैं वे सभी बे ब्राउजर होते हैं। जैसे कि क्रोम, मोज़िला फायरफॉक्स, ओपेरा यह सभी सॉफ्टवेयर वेब ब्राउज़र होते हैं। इन्हीं की मदद से हम किसी भी जानकारी को बहुत ही आसानी से प्राप्त करते हैं। इंटरनेट कैसे बनता है इसके बारे में हमने आपको पूरी जानकारी दी है। जब हम किसी भी चीज को इन ब्राउजर पर सर्च करते हैं तो सबसे पहले यह जानकारी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के पास पहुंचती है। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर वेब सर्वर से जानकारी को लेकर हम तक पहुंचाता है।
दोस्तों जब किसी भी चीज को ब्राउजर पर सर्च करते हैं तो यह सबसे पहले इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के पास जाती है। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर सर्वर पर इस आप की जानकारी को सर्च करता है और इसके बाद सर्वर से आपको जानकारी ले कर देता है। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर हमें सभी जानकारी सर्वर से ही देता है। यह प्रक्रिया दोस्तों काफी ज्यादा तेज होती है। यह प्रक्रिया इतनी ज्यादा तेज होती है कि कुछ ही सेकंड में हमें अपनी जानकारी मिल जाती है।
निष्कर्ष
दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। आज के इस आर्टिकल में हमने आपको इंटरनेट से जुड़ी सभी सुविधाएं बहुत ही आसानी से बताई है। आप इंटरनेट से जुड़ी सभी जानकारी हमारे इस आर्टिकल की मदद से ले सकते हैं। आप इंटरनेट को अपने मोबाइल फोन पर रोजमर्रा के काम के लिए यूज करते हैं। हमने आपको बताया है कि इंटरनेट क्या होता है? इंटरनेट कैसे काम करता है? सबसे मेन टॉपिक है कि इंटरनेट कैसे बनता है? इंटरनेट कैसे बनता है और आपके मोबाइल में कहां से आता है इसके बारे में हमने आपको बताया है।
हमने आपको इसके बारे में पूरी जानकारी बहुत ही आसानी से दी है। आपको यह भी बताया है कि इंटरनेट को किसने बनाया है। Vint Cerf ने सबसे पहले TCP/IP का निर्माण किया। इसके बाद इंटरनेट की दुनिया में एक नया आयाम शुरू हो गया। इंटरनेट कैसे काम करता है। यह सभी जानकारी हमने आप को बहुत ही आसानी से दी है। दोस्तों अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो हमें जरूर बताएंदी है। हमारे आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा लोगों में शेयर करें।